रविवार, 9 अक्तूबर 2011

बाल गीत, माँ दुर्गा ......डा श्याम गुप्त....

                             अभी तक शारदीय नवरात्र  चल रहे थे ...सभी  लोगों ने दुर्गा पूजा का भी खूब आनंद लिया...दशहरा  का भी.....राम नवमी का भी ......इन्ही ..या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता .....दुर्गा की पूजा करके राम ने रावण पर विजय के लिये  आवश्यक शक्ति प्राप्ति रूपी वरदान प्राप्त किया था ....प्रस्तुत है दुर्गा  के शक्तिरूपी रूपों पर एक बाल गीत के रूप में परिचय.....

भक्तों की तारिणी माँ ,आठ भुजा धारी है |
कर में त्रिशूल, कमल, खड्ग गदा धारी है ||

शंख  चक्र  धनुबाण , ओउम् करतल सोहे |
स्वर्ण आभूषण जटित,धवल कांति मन मोहे ||

शैलपुत्री , चंद्रघंटा, कूष्मांडा, ब्रह्मचारिणी |
 स्कंदमाता, कालरात्रि   और  कात्यायिनी ||

महागौरी, सिद्धिदात्री , नव रूप धारी है  |
मुख पे मुस्कान धवल, दुष्ट दलनकारी है ||

सृष्टि  की सृजक  माता,जग पालन हारी है |
आदिशक्ति, जगदम्बे , लाल वस्त्र धारी है ||

दुर्गति निवारिणी माँ ,दुःख:हरण हारी है |
बच्चो! ये दुर्गा माँ , सिंह की सवारी है ||

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

माँ की आराधना--हरिगीतिका छंद...ड़ा श्याम गुप्त ...

                  माँ शारदे ! 
( हरिगीतिका छंद -- २८ मात्रा , चार चरण, चरणान्त में लघु -गुरु , तुकांत )


माँ शारदे आराधना ही  ज्ञान का आधार है |
माँ वाग्देवी,वीणा-वादिनि ज्ञान का भण्डार है |
माता सरस्वति,मातु वाणी ज्ञान का आगार है |
मातु अर्चन-साधना ही साहित्य का संसार है ||



हम  हैं शरण में आपकी माँ ज्ञान के स्वर दीजिए |
सुख-शान्ति का वातावरण जग में रहे वर दीजिए |
कवि हों सुहृद समर्थ सात्विक सौख्य स्वर परिपूर्ण हों |
साहित्य हो सुंदर शिवं सत-तथ्य शुचि  सम्पूर्ण हों ||